तुम तरुवर मैं बेल सही
तुम मेरा जीवनआधार सही
तुम सशक्त और मेरा सहारा सही
तुम आश्रयदाता, मेरा आभार सही
पढ़े - खुश रहिए आप मुस्कराइए . . .
पर बस, यही मेरा अस्तित्व नहीं
मैं बेल हूं, तुम्हारी सज्जा
मैं रूप लूं तुम्हारे आकार सा
सीमित कर लेती तुम तक खुद को
समर्पित निष्कपट निराभिमान हूं
पढ़े - नासमझी . . .
और सुनोगे मेरा सामर्थय
ढूंढ ही लेती तुम में अपना आधार
तुम संग हसती , तुम संग गाती
तुम्हारे लिए ही खिलखिलाती
तुम्हारा रंग ले, संगिनी बन जाती
तुम्हारे अपनों संग घुल जाती
तुम संग संसार बसाती
फिर तरुवर तुम्हें क्यों अहंकार
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