वो आग का दरिया था,
हमने समंदर जाना था,
गए तो थे प्यास बुझाने,
रह गए झुलस के हम अनजाने। 

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हम वो तराजू कहां से लाते,
जो अपनी वफ़ा तौलवाते,
जो तुमने दिया, वो हमने सहा,
रोते रोते नहीं, हसते गाते
खिलखिलाते।

Reeta Poddar

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