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Reeta Poddar
जल रही बिखर रही . . .
Chandrashekhar Poddar
जल रही बिखर रही
टुकड़ों का हिसाब नहीं
कोई पास नही मेरे
और कोई आस नहीं
पढ़े - फिर तरुवर तुम्हें क्यों अहंकार . . .
रिस्ते नाते सब बेईमानी
संसार सारा तमाशाई
हाय दुहाई दुनियां की
फिर भी न कोई आस पाई
पढ़े - जो आप इक बार घर आ जाते . . .
जो संग हसते गाते थे
आज नजारा ले रहे हैं
यहां सीने में आग लगी है
वहां वो घी डाल रहे हैं
पढ़े - नासमझी . . .
छिटें, तानाकसी, अपमान
आज दब गई इनके बोझ तले
अब कौन मेरे टुकड़े समेटे
कौन मेरा सहारा बने
Reeta Poddar
Chandrashekhar Poddar
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