आज फिर से नागेश्वर ने शराब के नशे में घर में कदम रखा और बीवी को खींचकर कमरे में जाकर बंद हो गया । बिंदिया चिल्लाती रहती की छटपटाती रहती थी लेकिन नागेश्वर पर कोई फर्क नहीं पड़ता था! उसे तो अपनी हवस मिटानी होती थी ।

गेट के बाहर बिंदिया के छोटे-छोटे बच्चे रोते और दरवाजा पीटते बापू मम्मी को छोड़ दो ।
जब नागेश्वर की भूख मिटती तो बाहर आकर बच्चों को भी पीट देता । तीन बेटियां ,दो बेटे की मां थी बिंदिया । बड़ी बेटी कुछ समझदार थी आठ साल की की थी अपने भाई बहनों को चुप रहने कहती ।
अक्सर शाम होते ही बिंदिया के बच्चे सहम जाते ।
जुल्फों में सोने दे - 1  ---  जुल्फों में सोने दे - 2  ---  जुल्फों में सोने दे - 3 ---  जुल्फों में सोने दे - 4
बिंदिया अपने पांच बच्चों को घरों में चौका बर्तन करके पाल रही थी । तीसरी कक्षा तक ही पढी थी बिंदिया । गौर वर्ण सांचे में ढला बदन लम्बे कुंतल आकर्षक छवि की थी । देखने से कहीं से भी पांच बच्चों की मां नहीं लगती थी । केवल चौबीस की ही थी । तेरह की जब की तभी बिंदिया की शादी नागेश्वर से हो गयी । डेढ साल में ही एक बच्चे को जन्म देती थी बिंदिया ,इसलिए इतनी जल्दी पांच बच्चों की मां बन बैठी । नागेश्वर एक नंबर का शराबी था ।
रिक्सा चलाता था । शराब के लिए पैसे कम पड़ जाते तो बीवी से मांगता नहीं देने पर बाल पकड़कर खूब पीटता ।
नरक की जिंदगी जीने को मजबूर थी बिंदिया ।
मायके में भी एक भाई के सिवा कोई था नहीं । मां बाप की मौत हो चुकी थी । एक भाई था भी तो बहुत गरीब था ,उसे अपने परिवार को पालने के लिए लाले पड़ते थे भला बहन की वह क्या मदद करता?
बिंदिया का पति ही जब उसके साथ बलात्कार करता था तो फिर उसका जीवन कितना दर्दनाक था ।
बिंदिया पति की हरकतों से तंग आ गयी थी ।

दीवानगी का सुरूर - 1  ---  दीवानगी का सुरूर - 2  ---दीवानगी का सुरूर - 3

सोचती थी कि जहर खा लूं लेकिन बच्चों का मुख देखकर जीने को विवश थी ।
बिंदिया जिस सेठ के यहाँ काम करने जाती थी अपनी सबसे छोटी बेटी जो कि आठ महीने की थी उसे भी संग ले जाती । वहीं पर सेठ ने एक नया माली रखा था बगीचे की देखभाल के लिए । उसकी उम्र पैंतीस साल की थी । उसकी पत्नी का देहांत हो चुका था ।
एक दिन बिंदिया की तबियत खराब हो गई थी तो उसी माली ने बिंदिया को उसके घर पहुँचाया था ।
उसके बच्चों को देखकर उस माली को बहुत प्यार आया उसका नाम पिंटू था । पिंटू ने बच्चों से प्यार किया । जब पिंटू ने बच्चों से पूछा कि बापू प्यार करते हैं तो तीन साल की रनिया ने कहा "बापू सबको पीटते हैं माई को भी खूब पीटते कमरे में बंद करके"
ये सुनकर पिंटू को बिंदिया पर बहुत दया आई ।
बिंदिया की तबियत खराब थी उसे मलेरिया हो गया था । जब पिंटू को पता चला तो हास्पिटल से दवा लेकर बिंदिया को दिया । जब बिंदिया ने अपने पति के करतूत पिंटू को सुनाए तो पिंटू को हैरानी होने लगी थी ।

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पिंटू बच्चों के लिए टॉफी लेकर आया था बच्चे खुश हो गए थे । जब पिंटू घर से बाहर निकल रहा था तभी नागेश्वर ने घर लौटा । अंदर आते ही बीवी से पूछ बैठा कौन था तो बिंदिया ने कहा -"तुम्हें तो मेरी परवाह है नहीं उस बेचारे ने हास्पिटल से मेरे लिए दवा लाकर दिया"
इतना सुनते ही नागेश्वर बीवी को गंदी गंदी गालियाँ देने लगा "काम करने जाती है बेहया कि नैन मिलाने जाती है" दो तीन थप्पड़ भी लगाया बिंदिया को ।
अब तो नागेश्वर पूरा दिन शराब के नशे में धुत्त रहता ।
आखिर कब तक सहन करती बिंदिया ।
एक दिन नागेश्वर शराब के नशे में घर लौटा तो देखा कि पूरा घर खाली है कोई भी नहीं है ।
बगल की एक चाची ने कहा कि और शराब के नशे में धुत्त रहो तेरी पत्नी माली के साथ भाग गयी ।
नागेश्वर सर पीट पीटकर रोने लगा ।
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बिंदिया को खूब गाली बकने लगा । चाची ने कहा अच्छा किया बिंदिया जो भाग गयी । इस नशेड़ी के साथ कौन रह सकता है ।
बिंदिया ने पिंटू के साथ नयी जिंदगी की शुरूआत की थी । पिंटू ने इज्ज़त के साथ बिंदिया को रखा था और बच्चों को भी प्यार करता था ।
बच्चे खुश थे कि अब माई को बापू से छुटकारा मिल गया था जो अक्सर रात को कमरे में बंद हो जाता ।
बिंदिया भी सम्मान पाकर खुश थी । पिंटू बिंदिया को घर से बाहर निकलने नहीं देता था दोनों ने शादी करके घर बसा लिया और पिंटू भी दिल लगाकर मजदूरी करने लगा। पिंटू को जीने का मकसद मिल गया ।
बच्चे भी अब पढने लगे थे ।

Radha Yshi

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