"सुहानी आज नहीं तो कल तुझे मेरी मोहब्बत का एहसास जरूर होगा मुझे भरोसा है!"
इस गलतफहमी में मत रहना मिस्टर शेखर नफ़रत करती हूं तुझसे मैं नफ़रत ।
शादी हुए महीने बीत गए एक दिन शाम को शेखर ने सुहानी से कहा -"पापा के यहाँ चलो मिलकर आ जाना! "
ये सुनकर सुहानी खुश हो गयी । जल्दी तैयार होकर आई फिर गाड़ी में बैठ गयी । शेखर को सुहानी के चेहरे की उदासी देखी नहीं जाती थी लेकिन उसने अपने प्यार को पाने के लिए गलत तरीका अपनाया ।
घर पहुंचकर सुहानी अंदर जाने से घबराने लगी तो शेखर ने उसका हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया ।
सुहानी ने देखा बेड पर पापा लेटे थे और पास ही ममा बैठी थी । सुहानी को देखकर ममा पास आई तो सुहानी गले लगकर रोने लगी । पापा ने भी सुहानी को खूब प्यार किया । पापा ने ही बताया कि "एक दिन दुकान पर किसी ने हमला कर दिया बगल वाले दुकान की साजिश थी !"
"केस करके फंसा दिया था जब शेखर को पता चला तो पापा को जेल से बाहर लाया इस मुद्दे को अच्छे से संभाला ।"जुल्फों में सोने दे - 1  ---  जुल्फों में सोने दे - 2  ---  जुल्फों में सोने दे - 3 ---  जुल्फों में सोने दे - 4
 तो राजवीर जी को शेखर के प्रति अच्छे भाव आ गए । शेखर ने ही कहा था -"दीपक एक विदेशी लड़की से शादी कर चुका था और अपने पापा के डर के कारण उनको बताया नहीं और मजबूरन शादी करने को तैयार था ।
जब दोस्त से मिलने शेखर होटेल गया था दीपक के पीछे वाली मेज पर बैठकर दोनों की बातें सुनने लगा तो हकीकत उसके सामने आ गयी ।
फिर उसने इतना कड़ा फैसला लिया था ।
शेखर ने उसके मम्मी-पापा को ये भी बता दिया कि आपकी बेटी को धमकी देकर पेपर साइन कराया है मैंने ।  ये सब सुनकर सुहानी को झटका लगा ।
हिना सिंह किचन में थी और शेखर भी चाय पीने के लिए किचन गया था । तभी उसके पापा ने सुहानी को सारी बातें बताई ।
"बेटा शेखर बहुत अच्छा लड़का है तीन दिन पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया था!" 
"तो शेखर ने ही बेटे की तरह खूब सेवा किया हॉस्पिटल में रहा ।"
ये सुनकर सुहानी के होश उड़ गए "पापा शेखर ने मुझे बताया ही नहीं"
 तभी पीछे से शेखर ने कहा -"आप वैसे भी टेंशन में थीं आपको और टेंशन हो जाती इसलिए नहीं कहा!"
सुहानी के दिल में जो शेखर के लिए नफरत थी उसकी दीवार ढहने लगी थी ।
रात का खाना खाकर शेखर ने सुहानी से चलने को कहा तो सुहानी की ममा ने सुहानी को #
"कहा बेटा तुझे इतना प्यार करने वाला पति मिला है उसे दिल से अपना लो ।"

गाड़ी में बैठकर सुहानी शेखर के बारे में ही सोच रही थी कितना छुपा रूस्तम है ये डाक्टर? इसको पहचानना मेरे बस की बात नहीं, फिर उसके लबों पर मुस्कान आ गयी शेखर ने चुपके से देखा उसकी मुस्कुराहट को तो सुकून मिला उसे भी ।

अब सुहानी घर को अच्छे से सजाने लगी थी खुद ही किचन में जाती खाना बनाने नौकर को भी आश्चर्य लगता ये देखकर ,पर वो चेहरे पर शिकन लाए बिना सारे काम करती । शेखर के स्टडी रूम की सफाई करते समय एक डायरी मिली तो सुहानी पढती ही चली गई जिसमें सुहानी के बारे में ही लिखा था मुलाकात की बातें ,उसका पागलपन पढ़कर सुहानी को एहसास हुआ! उसे लगने लगा कि वाकई वो खुशनसीब है जो इतना चाहने वाला पति मिला ।
जब से देखा है तुझको कुछ भी दिखता नहीं ।
सुन ऐ हमसफ़र कि दिल तुझ बिन लगता नहीं ।

ये शेर लिखा था डायरी में बड़े प्यार से ।
सुहानी के दिल से नफ़रत मिट गयी मोहब्बत ने जगह ले ली थी ।
आज सुहानी मैरून कलर की साड़ी पहनी और मेकअप की थी, कमरे को भी अच्छे से सजाया शाम को जब शेखर आया तो सुहानी को देखकर उसका दिल मचल उठा! वह एक फूल लेकर सुहानी के घुटने में बैठकर कहने लगा -"बहुत प्यार करता हूं सुहानी तुमसे क्या मेरा साथ स्वीकार है तुझे? "
सुहानी ने अपना हाथ उसके हाथों में रख दिया ।

शेखर ने उसकी कलाई पकडकर अंगूठी पहना दी सुहानी शर्मा गयी ।
उसकी होश उड़ाने वाली नजरों को देखकर सुहानी भागना चाही कि शेखर ने लपककर उसे आगोश में बाँध लिया "सुहानी मुझे पूरी जिंदगी तेरी जुल्फों में सोकर गुजारनी है! " शेखर ने सुहानी के लम्बे बोलों को सहलाकर कहा! हया से सुहानी के होंठ कंपकंपाने लगे और शेखर ने उसके लबों पर मोहब्बत की मुहर लगा दी । चाहत के फूल खिल उठे ।आसमाँ में जो धुंध छाए थे छँट गए । फिजा मुस्कुरा उठी ।

राधा यशी

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