राजवीर के दोस्त मदन सिंह ने मंगनी के लिए एक होटेल में फंक्शन अरेंज किया था ।
सारा पैसा उन्होंने ही लगाया था राजवीर सिंह ने टोका तो कहा -"अरे अब सुहानी तेरी नहीं मेरी बेटी है समझा कर यार और वो दीपक मेरा बेटा नहीं अब वो तेरा बेटा है दोस्त की मोहब्बत ने उनको निहाल कर दिया । विदेश में रहने के बाद भी उसके संस्कार नहीं बदले ये देखकर बहुत आह्लादित हुए राजवीर ।
फिर शाम के समय बहुत ही खूबसूरत माहौल में मंगनी की रस्म हो गई । सुहानी प्याजी कलर की हल्के वर्क वाली साड़ी पहनी थी! और इतनी खूबसूरत लग रही थी कि सभी सुहानी को ही देख रहे थे दीपक भी बेइंतहा खूबसूरत लग रहा था डिनर सूट में !जैसे कोई फिल्मी हीरो हो । दोनों की जोड़ी जँच रही थी । सभी तारीफ़ कर रहे थे । दीपक और सुहानी दोनों खुश नजर आ रहे थे ।
तीन चार दिनों से ऑफिस के चक्कर लगाने के बाद जब सुहानी नजर नहीं आई तो डाक्टर शेखर बेचैन हो गए । फिर उसने ऑफिस के एक कुलीग से सुहानी के बारे में बताया तो, डाक्टर शेखर तिलमिला उठे फिर वो भी उसी होटेल चले गए जहां सुहानी की मंगनी हो रही थी । डाक्टर शेखर की आँखे रोने लगी बर्दाश्त नहीं हो रहा था उनसे कि कोई उसकी मोहब्बत छीन ले ।
इस वक्त शेखर ने देखा सुहानी बहुत खुश थी ।
जुल्फों में सोने दे - 1 --- जुल्फों में सोने दे - 2 --- जुल्फों में सोने दे - 3 --- जुल्फों में सोने दे - 4
तभी राजवीर सिंह की नजर पड़ी डाक्टर शेखर पर तो वो दीपक से मिलाने डाक्टर शेखर को लाए ।
सुहानी ने देखा शेखर के चेहरे पर उदासी और बहुत ही गुस्सा था । गुस्से भरी नजर से उसने सुहानी को देखा । सुहानी को समझ नहीं आया पहले घूरता था अब गुस्सा दिखा रहा है उस डाक्टर के कितने रूप हैं ये सोचकर उसने कंधे उनका लिए ।
दीपक और सुहानी को बधाई बोलकर शेखर चला गया ।
दो बजे रात तक शेखर मेज पर बैठकर सिगरेट फूंकता रहा । सोचता रहा आखिर क्यों वह उससे इतनी मोहब्बत करने लगा था जबकि उसको तो कोई प्यार नहीं मुझसे ।
आलोक सिंह एक बहुत बड़े बिजनेसमैन थे उनका इकलौता बेटा शेखर हाल ही में लंदन से डाक्टरेट की डिग्री लेकर आया था और अपना क्लीनिक चला रहा था । पानी पीने के लिए आलोक जब बरामदे में आए थे तो उन्होंने देखा कि शेखर के कमरे की बत्ती जल रही है फिर उन्होंने कमरे में कदम रखा गेट भी खुला था -"बेटा क्या हुआ कोई परेशानी है क्या ?"
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"अगर कोई बात है तो कहो मुझसे "
पापा मुझे एक लड़की से प्यार हो गया है लेकिन उसकी आज किसी और के साथ मंगनी हो गई ।
बेटा -"क्या वह लड़की आपसे प्यार करती है? "
नहीं पापा उसे तो पता भी नहीं है कि मैं उससे प्यार करता हूँ? "
फिर भूल जाओ बेटे हमारी हाइ सोसायटी में उतने साधारण लोग एडजस्ट नहीं कर पाएँगे ।
पापा सुहानी कोई सोसायटी नहीं वो मेरी मोहब्बत है उसे मैं अपना बनाकर रहूंगा चाहे हद से क्यों नहीं गुजरना पड़े मुझे!"
अपने बेटे के गुस्से को देखकर आलोक जी परेशान हो गए । बेटा कोई ऐसा काम मत करना कि मुझे सर झुकाना पड़े फिर इतना कहकर वो कमरे से बाहर निकल गए ।
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सुहानी की मंगनी की अंगूठी बेहद खूबसूरत थी उसे मनचाहा वर मिल रहा था इसलिये वह खुश थी ।
दो दिन की छुट्टी के बाद तीसरे दिन से ऑफिस जाने लगी सुहानी ।
शाम के समय डाक्टर शेखर को अपने करीब आते देखकर सुहानी को कोई फर्क नही पड़ा ।
सुहानी मुझे आपसे जरूरी बात करनी है चलिए ड्राप कर देता हूँ आपको ।
सुहानी उसकी लहजे की सख्ती देखकर गाड़ी में बैठ गयी ।
ड्राइव करते करते शेखर ने कहा -"सुहानी आपने जो अंगूठी पहनी है उतार दीजिए और फिर जेब से एक हीरे की अंगूठी निकालकर सुहानी को पहनाने लगा ।
सुहानी को गुस्सा आ गया उसने एक जोरदार थप्पड़ शेखर के गाल पर दे मारा । शर्म नहीं आती आपको ऐसी हरकत करते हुए । फिर शेखर ने गाड़ी रोकी तो सुहानी गेट खोलकर बाहर आ गयी ।
"सुहानी मैं आपसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं आप सिर्फ मेरी हो"
डाक्टर शेखर ने भी गाड़ी से बाहर निकलकर
चिल्लाकर कहा ।
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सुहानी को लगा ये डाक्टर पागल हो गया हैरत होने लगी उसे कि जो अपना इलाज नहीं कर सकता किसी मरीज का क्या करेगा । दूसरे टैक्सी में बैठकर सुहानी चली गई ।
घर आकर सुहानी को चैन मिला अब पता चला सुहानी को कि क्यों डाक्टर शेखर उसे घूरते रहता था
कमीना पागल सड़कछाप मजनू कहीं का दिल ही दिल में हजार गाली उसने शेखर को दे डाली ।
फिर फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर गटक गयी कुछ सुकून मिला उसको ।
"सुहानी बेटा क्या हुआ आओ नाश्ता कर लो" उसकी ममा ने आवाज लगाया
"नहीं ममा बस चाय दे दो नाश्ता नहीं करूंगी ?"
सुहानी के सामने डाक्टर शेखर का चिल्लाकर बोलना तुम सिर्फ मेरी हो उसे डरा देता था ।
रात को भी नींद से जग उठती थी वो ।
शादी को केवल दस दिन ही बजे थे ।
सुहानी ने शापिंग करना शुरू कर दिया ।
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एक दिन शेखर अपने दोस्त एक वकील से मिलने जा रहा था तो उसने एक होटेल में दीपक को देखा उसके साथ कोई लड़की थी फिर शेखर भी दोस्त के मेज पर चला आया ।
सुहानी घर पर किचन में डिनर बना रही थी कि तभी शेखर की आवाज उसके कानों में सुनाई दी ।
वो डर से सिहर गई ।
राजवीर सिंह
मार्केट से आ रहे थे कोई टैक्सी नही मिली तो शेखर ने ड्राप कर दिया वो भी वहाँ से गुजर रहा था तो देखा ।
पानी पीने के बहाने से शेखर कमरे में आया और सुहानी के पास एक पेपर रख दिया बोला इस पर साइन करो वर्ना तेरे मम्मी और पापा को सूट कर दूंगा ।
सुहानी के दोनों हाथ जोर से पकड़ते हुए शेखर ने कहा । सुहानी तो डर से काँपने लगी बोली ये क्या है तो कहा साइन करने के बाद मेरी बीवी बन जाओगी वर्ना अपने मम्मी-पापा को खो दोगी ।
जेब से शेखर ने गन निकाल लिया और एक फायर भी कर दिया जिसके कारण किचन की खिड़की में सूराख हो गया ।
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साइलेंसर लगा था गन में इसलिए कोई आवाज नहीं आई । काँपते हाथों से डरते हुए सुहानी ने साइन कर दिया पेपर पर ।
फिर किचन से बाहर आकर शेखर ने सुहानी के मम्मी पापा से कहा हमदोनों ने शादी कर ली है कोर्ट मैरिज ।
ये सुनकर राजवीर सिंह को बहुत बड़ा धक्का लगा ।
सुहानी को जोर से पुकारा उन्होंने सुहानी के गाल पर थप्पड़ लगाया और घर से बाहर निकाल दिया उसकी ममा भी रोने लगी । उसके पापा ने कहा -"आज से और अभी से मेरी बेटी मेरे लिए मर गयी ।
सुहानी रोती रही फिर शेखर ने सुहानी का हाथ पकड़कर अपने घर ले आया ।
सुहानी बहुत देर तक रोती रही खाने का प्लेट लेकर जब शेखर उसके सामने गया तो सुहानी बिफर पड़ी प्लेट उठाकर फर्श पर दे मारी ।
नफरत की आग में जलने लगी थी वह ।
इस शेखर ने उसे कहीं का न छोड़ा मां बाप की नज़रों से गिरा दिया । एक सप्ताह तक कमरे में ही बंद रही सुहानी होटेल में उसके पापा ने अच्छे से शादी की
व्यवस्था की फिर रीति-रिवाज के साथ शादी हुई शेखर की । दो दिन बाद रिसेप्शन था शादी का
बहुत ही सादे कपड़े में तैयार हुई थी सुहानी जब आलोक जी ने देखा तो शेखर को कहने लगे -"बेटा ये लड़की तो तेरे लायक है ही नहीं क्या देखकर इससे प्यार किया इसकी खूबसूरती इससे सौ गुनी ज्यादा खूबसूरत लड़कियों की लाइन लगा देता ।
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पापा चुप हो जाइये लड़कियों की लाइन तो लगा देते आप पर वो मेरी मोहब्बत नहीं होती मेरी सुहानी मेरे लिए अनोखी है उससे बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं !"
"बेटा उसका पहनावा तो देखो सभी मजाक बनाएँगे हमारा! "
पापा वो चाहे जैसी भी रहे साधारण कपड़ों में या स्टैंडर्ड कपड़ों में मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वो मेरी मोहब्बत है! "
शेखर ने कहा
आलोक जी शेखर के कंधे को थपक कर चले गए ।
रात को कमरा में जब सुहानी को ले जाया गया तो, उसने देखा कमरा फूलों से बेहद खूबसूरत ढंग से सजा था गुस्से से सुहानी ने कमरे की सजावट को तोड़ फोड़ दिया !फिर रात के कपड़े पहनकर बेड पर लेट गई । बारह बजे शेखर कमरे में आया तो कमरे की हालत देखकर चुप ही रहा शेखर सोफे पर ही लेट गया ।
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सुबह उठकर शेखर कहीं चला गया काम से ।
सुहानी को ममा पापा की बहुत याद आती थी हमेशा रोती रहती । धीरे-धीरे सुहानी का दिल कठोर होने लगा । शेखर बड़े प्यार से खाना खिलाता उसको पर वो नहीं खाती ।
"सुहानी आज नहीं तो कल तुझे मेरी मोहब्बत का एहसास जरूर होगा मुझे भरोसा है!"
इस गलतफहमी में मत रहना मिस्टर शेखर नफ़रत करती हूं तुझसे मैं नफ़रत ।
शादी हुए महीने बीत गए एक दिन शाम को शेखर ने सुहानी से कहा -"पापा के यहाँ चलो मिलकर आ जाना! "
ये सुनकर सुहानी खुश हो गयी । जल्दी तैयार होकर आई फिर गाड़ी में बैठ गयी । शेखर को सुहानी के चेहरे की उदासी देखी नहीं जाती थी लेकिन उसने अपने प्यार को पाने के लिए गलत तरीका अपनाया ।
घर पहुंचकर सुहानी अंदर जाने से घबराने लगी तो शेखर ने उसका हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया ।
सुहानी ने देखा बेड पर पापा लेटे थे और पास ही ममा बैठी थी । सुहानी को देखकर ममा पास आई तो सुहानी गले लगकर रोने लगी । पापा ने भी सुहानी को खूब प्यार किया । पापा ने ही बताया कि "एक दिन दुकान पर किसी ने हमला कर दिया बगल वाले दुकान की साजिश थी !"
"केस करके फंसा दिया था जब शेखर को पता चला तो पापा को जेल से बाहर लाया इस मुद्दे को अच्छे से संभाला ।"
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तो राजवीर जी को शेखर के प्रति अच्छे भाव आ गए । शेखर ने ही कहा था -"दीपक एक विदेशी लड़की से शादी कर चुका था और अपने पापा के डर के कारण उनको बताया नहीं और मजबूरन शादी करने को तैयार था ।
जब दोस्त से मिलने शेखर होटेल गया था दीपक के पीछे वाली मेज पर बैठकर दोनों की बातें सुनने लगा तो हकीकत उसके सामने आ गयी ।
फिर उसने इतना कड़ा फैसला लिया था ।
शेखर ने उसके मम्मी-पापा को ये भी बता दिया कि आपकी बेटी को धमकी देकर पेपर साइन कराया है मैंने । ये सब सुनकर सुहानी को झटका लगा ।
हिना सिंह किचन में थी और शेखर भी चाय पीने के लिए किचन गया था । तभी उसके पापा ने सुहानी को सारी बातें बताई ।
"बेटा शेखर बहुत अच्छा लड़का है तीन दिन पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया था!"
"तो शेखर ने ही बेटे की तरह खूब सेवा किया हॉस्पिटल में रहा ।"
ये सुनकर सुहानी के होश उड़ गए "पापा शेखर ने मुझे बताया ही नहीं"
तभी पीछे से शेखर ने कहा -"आप वैसे भी टेंशन में थीं आपको और टेंशन हो जाती इसलिए नहीं कहा!"
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सुहानी के दिल में जो शेखर के लिए नफरत थी उसकी दीवार ढहने लगी थी ।
रात का खाना खाकर शेखर ने सुहानी से चलने को कहा तो सुहानी की ममा ने सुहानी को #
"कहा बेटा तुझे इतना प्यार करने वाला पति मिला है उसे दिल से अपना लो ।"
गाड़ी में बैठकर सुहानी शेखर के बारे में ही सोच रही थी कितना छुपा रूस्तम है ये डाक्टर? इसको पहचानना मेरे बस की बात नहीं, फिर उसके लबों पर मुस्कान आ गयी शेखर ने चुपके से देखा उसकी मुस्कुराहट को तो सुकून मिला उसे भी ।
अब सुहानी घर को अच्छे से सजाने लगी थी खुद ही किचन में जाती खाना बनाने नौकर को भी आश्चर्य लगता ये देखकर ,पर वो चेहरे पर शिकन लाए बिना सारे काम करती । शेखर के स्टडी रूम की सफाई करते समय एक डायरी मिली तो सुहानी पढती ही चली गई जिसमें सुहानी के बारे में ही लिखा था मुलाकात की बातें ,उसका पागलपन पढ़कर सुहानी को एहसास हुआ! उसे लगने लगा कि वाकई वो खुशनसीब है जो इतना चाहने वाला पति मिला ।
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जब से देखा है तुझको कुछ भी दिखता नहीं ।
सुन ऐ हमसफ़र कि दिल तुझ बिन लगता नहीं ।
ये शेर लिखा था डायरी में बड़े प्यार से ।
सुहानी के दिल से नफ़रत मिट गयी मोहब्बत ने जगह ले ली थी ।
आज सुहानी मैरून कलर की साड़ी पहनी और मेकअप की थी, कमरे को भी अच्छे से सजाया शाम को जब शेखर आया तो सुहानी को देखकर उसका दिल मचल उठा! वह एक फूल लेकर सुहानी के घुटने में बैठकर कहने लगा -"बहुत प्यार करता हूं सुहानी तुमसे क्या मेरा साथ स्वीकार है तुझे? "
सुहानी ने अपना हाथ उसके हाथों में रख दिया ।
शेखर ने उसकी कलाई पकडकर अंगूठी पहना दी सुहानी शर्मा गयी ।
उसकी होश उड़ाने वाली नजरों को देखकर सुहानी भागना चाही कि शेखर ने लपककर उसे आगोश में बाँध लिया "सुहानी मुझे पूरी जिंदगी तेरी जुल्फों में सोकर गुजारनी है! " शेखर ने सुहानी के लम्बे बोलों को सहलाकर कहा! हया से सुहानी के होंठ कंपकंपाने लगे और शेखर ने उसके लबों पर मोहब्बत की मुहर लगा दी । चाहत के फूल खिल उठे ।आसमाँ में जो धुंध छाए थे छँट गए । फिजा मुस्कुरा उठी ।
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