स्वार्थ और मैली मन की ईट से
ईर्ष्या और अशुद्ध विचारो का महल बनाया,
काम क्रोध और लोभ मोह से
इसको चौतरफा  खूब सजाया।

पढ़े - तू नारी है कमजोर नही

अपनी अहंकार और ईर्ष्या से आँगन को ऊँचा कर डाला,
टांगी नफरत की झालर,
बैठ गया जब इस घर में मानव,
तब दानव कहलाया,

पढ़े - नारी की आवाज
क्या फायदा ऐसे महल का
जिसमे हम दानव कहलाएं
कर तत्काल खुशियो का नव निर्माण,
अपने घर को मंदिर जैसा हम बनाएं।

Shubham Poddar

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