हार मत मानना . . . तू गिर गया तो क्या? उठकर चलना सिख। कब तक दूसरों का इतिहास पढ़ेगा? अब ख़ुद अपना इतिहास लिख। अपना जीवन गुजार मत, दूसरों ...
मैं यह ठान लिया हूँ . . . कुछ अलग करना है अब मुझे, मैं यह ठान लिया हूँ। अभी पहुंचा नहीं हूँ मंजिल पर, अभी तो बस उड़ान लिया हूँ। कोई साथ नहीं ...
ऐ राही! तू चलता जा . . . ऐ राही! तू मेरी बात सुन, अपनी राह तू ख़ुद चुन। जितनी बार तु गिरे, उतनी बार तू संभलता जा, ऐ राही! तू चलता जा। जैसे सू...
सफलता . . . जो गिरते ही फूट जाए, वो मिट्टी का घड़ा नहीं हूँ। हां, गिरा मैं जरूर हूँ, परंतु मैं हारा नहीं हूँ। अपनी कठिनाइयों से स्वयं लड़ूं, इ...
हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा...
मरते-मरते रही बस यही आरज़ू, अपनी जां को मैं वतन पे वार दूं। रगों में बहते एक एक बूंद की कसम, आज सैनिक होने का मैं कर्ज उतार दूं...
आज़ादी- कश्मीर और नागालैंड 75 वर्ष हो चुके आज़ादी के, फिर भी तिरंगे को लेकर सवाल क्यों? एक देश में एक ही झंडा हो, फिर कश्मीर और नागालैंड मे...
Domestic Violence घरेलू हिंसा . . . बिखरे हुए थे बाल उसके काजल में फिर आज कालिका छाई थी हैं लाल बहुत ही आंखें उसकी क्या रात उसने फिर मार खाई...
* एक अजनबी ने एक ब्राह्मण से पूछा. "बताइए, इस शहर में महान क्या है?". ब्राह्मण ने जवाब दिया की "खजूर के पेड़ का समूह महान है...
कहानी किस्मत की . . . कहानी जीवन की मैं सुनाऊ किसी को कैसे। सफर जिंदगी का मेरा कभी आसान नहीं रहा। जब भी आये सुकून के दिन मेरे जीवन मे...
दिल पे उसकी यादों का कहर बरपा रहा मेरा प्यार एक तरफा था एक तरफा रहा! निगाह भरके देखना भी नसीब न रहा उसे ताउम्र उसकी राहों से मैं यूं ही गुजर...