तेरे होंठो पर छुपी है वो आवाज़ लिखूंँगा,
तेरे दिल में छुपे राज़ को मैं राज़ लिखूंँगा।

उस हसीना का नाम पता नहीं मालूम मुझे,
फिरभी मैं उस हसीना को हमराज़ लिखूंँगा।

धड़कन से दिल का एक अजीब राब्ता है,
दिल में बजती धड़कन को मैं साज़ लिखूंँगा।

हुस्न की नज़ाकत में मदिरा सा कुछ नशा है,
तेरी आँखों के नशे का अलग अंदाज़ लिखूंँगा।

दिल की बात को ज़ुबान से कह न पाया कभी,
आज मैं उस बात का भी आगाज़ लिखूंँगा।

हक़ीक़त में मिलन की उड़ान मुमक़िन नहीं,
इसलिये मैं मेरे ख़्वाबों की परवाज़ लिखूंँगा।

नफ़रत भरी इस दुनिया में प्यार भी ज़िन्दा है,
नफ़रत के बदले मेरे प्यार पर नाज़ लिखूंँगा।

इस दुनिया पर हुक़ूमत चाहे किसी की भी रहे,
मेरे पागल दिल पर हमेशा तेरा राज लिखूंँगा।

लिखना तो बहुत कुछ था "साजन" को मगर,
आज में दिल में छुपे कुछ अल्फ़ाज़ लिखूंँगा।

Pradeep Kumar Poddar

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