Read A Poetry - We are Multilingual Publishing Website, Currently Publishing in Sanskrit, Hindi, English, Gujarati, Bengali, Malayalam, Marathi, Tamil, Telugu, Urdu, Punjabi and Counting . . .
ऐ राही! तू मेरी बात सुन, अपनी राह तू ख़ुद चुन। जितनी बार तु गिरे, उतनी बार तू संभलता जा, ऐ राही! तू चलता जा। जैसे सूरज है आकाश में, और तू है उसकी प्रकाश में।
उसके जैसा कभी ढलना तो कभी उगता जा, ऐे राही! तू चलता जा। जल मत तू बदले की आग में, सफल होना है तो मग्न रह अनुराग में। कोई तुझे अपमान करें, तो उसकी नादानी पर हँसता जा, ऐ राही! तू चलता जा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें