मैं यह ठान लिया हूँ . . .

कुछ अलग करना है अब मुझे,
मैं यह ठान लिया हूँ।
अभी पहुंचा नहीं हूँ मंजिल पर,
अभी तो बस उड़ान लिया हूँ।

कोई साथ नहीं देता मुश्किलों में,
मैं यह जान लिया हूँ।
अब अकेले ही चलूँगा अपनी मंजिल की ओर,
मैं यह ठान लिया हूँ।

चल पड़ा हूँ अब मैं,
झोली भर के अरमान लिया हूँ।
कुछ अलग करना है अब मुझे,
मैं यह ठान लिया हूँ।

― Author Niraj Yadav
(Bhopatpur Nayakatola, Motihari: Bihar)

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