मोहब्बत का दर्द . . .
मोहब्बतों से मेरा कोई वास्ता नहीं था!
मुझे तो याद चाहतों का रास्ता नहीं था!!
तुम आये तो ज़िन्दगी मुस्कुराई थी!
फ़िर चलने लगी शीतल पुरवाई थी!!

तुमने हौले से जब कदम बढ़ाए थे!
पैर मेरे भी थोड़ा सा कंपकँपायें थे!!
नज़रों से नज़रों की मुलाक़ात हो गयी!
आँखों आँखों में दिल की बात हो गयी!!

तेरे ख़्यालों में पागल सा रहने लगा था!
"तुम मेरी हो" ये सबसे कहने लगा था!!
शाम ओ सहर तस्सवुर में गुजरने लगा!
रंग इश्क़ का हवाओं में बिखरने लगा!!

मैं ख़ुद से भी दूर होता जा रहा था!
तेरे नाम से मशहूर होता जा रहा था!!
अचानक ना जाने तुम्हें क्या होने लगा!
फूलों की राह पर कांटे कोई बोने लगा!!

मेरी आवाज भी तुम्हें अब चुभती है!!
ये सिसकियां मेरी मज़ाक लगती है!!
कैसे रहूंगा तुझ बिन कुछ तो बता दे!
ख़तावार हूँ अग़र तो मुझको सज़ा दे!!

पर मैं तुझको कोई इल्ज़ाम ना दूँगा!
बेवफ़ा का भी कभी तुझे नाम ना दूँगा!!
हो सके तो बस लौट आना एक बार!
मरने से पहले मुझे देख जाना एक बार!!

तेरी खुशहाल ज़िन्दगी की दुआ करता हूँ!
हाँ मैं आज भी तुझसे ही प्यार करता हूँ!!

स्वरचित -
प्रदीप कुमार पोद्दार “टाईगर"

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