वफ़ा-ऐ-मुहोब्बत

दिल से निकली वो बात सुनने दो चुप रहो, खमोशी के राज़ खुलने दो खुद को दिखादो आज वफ़ा-ऐ-मुहोब्बत उल्फत के शोलो से आग जलने दो...
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खुद को

मैने थोडासा किया तबाह खुद को आप समझने लगे जहाँपनाह खुद को पढ़े -  ज़ुस्तज़ु  ख्वाहिशे अपनी मकम्मल हुई तो ग़ुरूर से सोच ...
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काबिलियत की नुमाईश

फिर उज़ागर हो गई हैवानियत की नुमाईश ठंडे बक्शे में रख दो इंसानियत की नुमाईश पढ़े -  तलाश में समंदर ख़ूनका और डूबके मरते हुए इंसान ह...
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तलाश में

समंदर में उठी लहरे किनारो की तलाश में बिखरती रही यादे बहारों की तलाश में कभी तो मिलेगा एक आशियाना यहाँ सारा शहेर नि...
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ज़ुस्तज़ु . . .

ज़ुस्तज़ु साथ निभाने की थी अपनो से ही तनहाई क्यों मिली शमा बुझी तो दिल जलाये थे बदले में बेवफाई क्यों मिली बुलंद सितारों को - Vahshu  - ख...
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अधूरी ख्वाहिशें

अधूरी ख्वाहिशो को यूँ हवा नही देना अंगारे उठेंगे उसे नींद से जगा नही देना झील जो बर्फ से जमी थी खामोश है कागज़ की कश्त...
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