दिल से निकली वो बात सुनने दो चुप रहो, खमोशी के राज़ खुलने दो खुद को दिखादो आज वफ़ा-ऐ-मुहोब्बत उल्फत के शोलो से आग जलने दो...
फिर उज़ागर हो गई हैवानियत की नुमाईश ठंडे बक्शे में रख दो इंसानियत की नुमाईश पढ़े - तलाश में समंदर ख़ूनका और डूबके मरते हुए इंसान ह...
ज़ुस्तज़ु साथ निभाने की थी अपनो से ही तनहाई क्यों मिली शमा बुझी तो दिल जलाये थे बदले में बेवफाई क्यों मिली बुलंद सितारों को - Vahshu - ख...
अधूरी ख्वाहिशो को यूँ हवा नही देना अंगारे उठेंगे उसे नींद से जगा नही देना झील जो बर्फ से जमी थी खामोश है कागज़ की कश्त...