अधूरी ख्वाहिशो को यूँ हवा नही देना
अंगारे उठेंगे उसे नींद से जगा नही देना
झील जो बर्फ से जमी थी खामोश है
पथ्थर यूँही पड़े थे मंदिर की चोखट पर
तारो का काम टिमटिमाते रहेना रात भर
जलती शमा जानके उसको बुज़ा नही देना
एक दिन यही ख्वाहिशें उम्मीद बनेगी