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अधूरी ख्वाहिशो को यूँ हवा नही देना
अंगारे उठेंगे उसे नींद से जगा नही देना

झील जो बर्फ से जमी थी खामोश है
कागज़ की कश्ती उसमे चला नही देना




पथ्थर यूँही पड़े थे मंदिर की चोखट पर
सीढियां बनाकर उसको सजा नही देना

Vahshu द्वारा लिखित : ज़ुस्तज़ु

तारो का काम टिमटिमाते रहेना रात भर
जलती शमा जानके उसको बुज़ा नही देना

एक दिन यही ख्वाहिशें उम्मीद बनेगी
रखना उसे सम्भालके गवा नही देना

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