सैलाब

थम  गई है जमी उभरा है आंखो का सैलाब , बिखरा है ये दिल मेरा , तन्हा पड़ गया प्यार मेरा ।
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तृप्ति का सागर माँ . . .

तृप्ति सुख ,सुकून वात्सल्य ओ ममतापूर्ण ठंडी छाया माँ। जीवन साँसे,धड़कन सन्तति को पहचान देती ,सँवारती माँ। ईश्वर की अनुकृति बन पालती सन...
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इस दौर में सब . . .

इस दौर में सब चारदीवारी चाहते है , बुजदिल लोग अब सरदारी चाहते है । जाने कितने ताज है हमारी ठोकरों में , झूठी खबरें शोहरत अख़बारी चाहते ...
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यादें...

कभी तेरी यादें कभी तेरी बातें ज़हन में आती हैं तो मैं लिख लेती हूँ । कभी तेरी हँसी कभी तेरी उदासी ज़हन में आती है तो ...
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