है नफरत मुझे बस यहाँ रहजनी से
नहीं मुझको नफ़रत किसी आदमी से |

है रोटी व कपड़ा मकां भी जरुरी
नहीं पेट भरता महज शायरी से |

अमिट कुछ निशाँ दे गए दोस्त फिर भी
नहीं है शिकायत मुझे दोसती  से |

वो है बेवफ़ा यार मुझको पता पर
मुझे है मुहब्बत उसी हमनशीं से |

अँधेरों से ही है उजालों की कीमत
तो फिर क्यों अदावत यहाँ तीरगी से |


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