तृप्ति
सुख ,सुकून
वात्सल्य ओ ममतापूर्ण
ठंडी छाया
माँ।


जीवन
साँसे,धड़कन
सन्तति को पहचान
देती ,सँवारती
माँ।


ईश्वर
की अनुकृति
बन पालती सन्तान
चाहे बिना
प्रति दान।


जीवन
ओज ,तेज
शक्ति अस्तित्व की
उन्नति चाहती
माँ।


माँ
परछाई तेरी
मैं,, मुझमें बसी
तू रूह
मेरी।


सोच
समझ ,दृष्टिकोण
अक्स में मौजूद
मेरी माँ
सदा।


सृष्टि
रचती परिवार
गढ़ती ब्रह्मा बन
माँ, देवी
बन।


माँ
हमेशा बनी
तृप्ति का सागर
वात्सल्यपूर्ण ,ममतामयी
हमेशा पूज्य
माँ।

Neelam Vyas

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