गर्भ वास की गुरु माँ है
जीवन दाता ही माँ है
माँ प्रज्ञा,ज्ञान देती है
व्यक्तित्व बनाती है।


द्वितीय गुरु पिता है,
बीज प्राण देते जो हैं,
पालनार्थ कर्म करे है,
सन्तति पालनहार है।


तृतीय गुरु शिक्षक जी है,
ज्ञान देकर तारे हमें जो हैं,
हर विषय में कुशलता दे है,
श्रेष्ठ मानव रूप देते हमें हैं।


चौथे गुरु धर्म गुरु जी है,
भक्ति,नीति,ज्ञान दे हैं,
मुक्ति पथ प्रशस्त करे हैं,
धर्म की सच्ची शिक्षा दे है।।


पाँचवे साहित्य गुरु मेरे है।
काव्य धारा रस,छंद सीखे हैं,
कविता रचना के गुर दिए है।
शब्द ब्रह्म साधक बना दिये है।


छठवें गुरु मेरे पतिदेव जी है,
गृहस्थी में नित कुशल किये है,
सही मार्गदर्शन मुझे वो दिए है,
जीवन पथ सुगम वो किए है।।


धन्य महाभाग मेरे गुरुदेव।
आप सब को नमन गुरुदेव।
मुझ पर कृपा रखो गुरुदेव।
भव बन्धन तारो मेरे गुरुदेव।

Neelam Vyas

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