मेरे एक ध्यान गुरु है,
दूर बहुत रहते वो है,
संवाद भी कठिन है,
नमन उनको नमन है।


उनकी बताई राह कठिन है,
चल न पाई मै मन मलिन है,
गृहस्थ का पालन विकट है,
सब मनचाहा त्यागना पड़े हैं।


जहां भी हो ,प्रणाम उन्हें,
उनके ज्ञान को नमन करें,
मन में ज्योत जगा गए वे,
ध्यान में रहना सिखा गए वे।।


सांसारिक सच बता दिया।
अन्तस् में विवेक जगा दिया।
सोच को संतुलित,शुद्घ  किया।
जीवन प्रज्ज्वलित कर दिया।।


नमन,वंदन,गुरुदेव,
मित्रा जी हो सदैव,
स्मृति पटल तथैव,
करू सुमिरन गुरुदेव।।


Neelam Vyas

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