जीवन का सबसे अनमोल ,अनूठा हैं।
बचपन सबका अविस्मरणीय  होता हैं।
जीवन की अनमोल थाती होता  हैं।
बचपन में माँ बाप राजा रानी ही लगते हैं।

हर बेटा माँ  बाबा का दुलारा कान्हा होता हैं।
हर बेटी नाजों में पली ,परी सी ही होती हैं।।
मनमोहक रूप कृष्ण का,राम का जग लुभाता हैं।
देवी सी पवित्र ,निश्छल,,हर घर में जन्म लेती हैं

बचपन कितना निश्चिंत,मासूम हैं।
हर संघर्ष ,तनाव से दूर महफ़ूज हैं।
स्वयम को विशेष  महसूस करता हैं
हर बच्चा  बचपन में जब जीता हैं।

हम जब बड़े हो जाते हैं,, तब भी।
बचपन यादों का खजाना  तब भी
तनाव,जिम्मेदारी ,संघर्ष हो तभी
बड़े हो जाते आत्मनिर्भर तभी।

सभी को जीवन भर याद आता हैं।
बचपन का सुहाना वक्त न आता हैं
लौट कर न फिर बचपन  आता हैं।
जीवन आगे बढ़ता ही तो जाता हैं।

जब सन्तान होती तो खो जाते हैं
उसके बचपन में ही जी लेते हैं।
ढूंढा करे बच्चों के बचपकिनजो हैं
अपने बचपन की छवि सी जो है।

पुत्र पुत्री की सन्तान जब आती हैं
बचपन फिर तृप्त,संतुष्ट  लगता हैं।
जी लेते पुनः इक़ बचपन फिर से हैं
जीवन के ये पड़ाव मनमोहकभी हैं

मस्त हवा सा, दीप्त किरण सा हैं
कोमल वल्लरी सा, अमर बेल  हैं।
अंजुरी भर नेह ,हृदय का प्रेम हैं।
ए बचपन तू कितना अलौकिक हैं।

सहज विश्वास, भोलापन हैं बचपन
सम्पूर्णता,,अपनापन हैं बचपन।
मनुज में देवत्व की  झलक बचपन
तुझे नमन,वंदन ए मोहक बचपन।

Neelam Vyas

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