रात से मिलकर
दिन की बात को भुल जाना है
उसने जितना कहा
हमे उतना आजमाया गया है

उसकी बातें
पढ़कर रातों में सांसें कट रही है
उससे जों मिले
हम अपने पुराने किस्से बुनने लगे हैं

उसकी यादें
देख मेरे चारों तरफ सन्नाटा होने लगा था
उससे मिलने के बाद
मैं लोगों से जों मिला तो दहशत छाने लगी

मेरी सलाह
तुम ऐस गलती भूलकर भी मत करना
जो शख्स तुम्हें
नज़र अंदाज़ करें दोबारा तुम उससे बात मत करना

 मन का हाल
कह दिया जों कह सकें किसी से हम
जिंदगी पहेली
और रात आज फिर हमारी सहेली बन गई

अनसुलझे प्रश्न
समझ आए तो हमें समझा देना
जीवन रहस्य
रात तुम्हें पता हो तो हमें भी बता देना

अब नहीं रोना
बहुत जाग लिए हम अब दुसरो के लिए
दूसरों के लिए
नहीं बस अब अपने लिए मुझे जीना है

अंधेरा
मैं अपनी जिंदगी में अब नहीं होने दुंगा
रोशनी
चांद की मैं अपने जीवन में उतार रहा हूं

Pradeep Chauhan

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