नवरात्र के पंचम दिवस ,आराधना करो माँ स्कंद माता की।
पद्मासना जो  गोद में लिए बैठी  पुत्र स्कंद को कार्तिकेय को।

माँ की पूजा से पुत्र कार्तिकेय की पूजा भी स्वयम जाती हो।
सन्तान की उन्नति करने को ,कष्ट हरने को पूजन पंचम दिवस को।

नव रात्र के नव रूपों में स्कंद माता सन्तान को तारती सदा।
आज की विषमताओं को नष्ट कर  रोग मुक्त करती सदा।

व्रहस्पति प्रबल होता आज के दिवस की रचना से।
पीले वस्त्र ,पीले भोग को लगाकर कृपा पाओ माँ से।

केले का भोग लगा,प्रसाद रूप में पाओ सदा।
सन्तान की उन्नति होगी,सन्तान कष्ट मिटेगा सदा।

ज्योत जलाओ रात भर,या फिर अखण्ड ज्योत जगाओ।
न ही सम्भव तो सुबह शाम पूजन अर्चन मन से करो।

ओ जगत माता ,ओ भव तारिणी,आओ हम सन्तान को तारो।
विश्व  के रोगों के संकट को माँ जल्दी से निवारो।

तुम हर माँ की माता हो,माँ के मन की पीड़ा जानती हो।
बेटा हो परदेश जिसका,उसके मन का ताप हरो।

बेटा रहे स्वस्थ,हरा भरा,माँ इतनी तुम कृपा करो।
दीन हीन दुःख पीड़ित जनों के संकट का परित्राण करो।

धरा को विषाणु मुक्त करो माँ ,स्वच्छता निर्मलता फैलाओ।
धीर गम्भीर ,विवेक सम्मत आचरण का वरदान दो।

माँ नियम ,संयम ,योग ,आसन ,अनुशासन से जीने की बुद्धि दीजिए।
हम बच्चे भोले ,दुखी,हमको रोग से उबरने के हुनर दीजिए।

शंख ,ढोल ,आरती थाल से ,दीपदान से पूजन करे।
घर घर साँची जोत जले ,संकट से हमें मुक्ति मिले।

हे भगवती ,हे भयतारिणी,पूजन को सफल बनाओ आज।
सहस्त्र चक्र कमल की साधना में  ध्यान योग में मन लगाओ आज।

कुमकुम ,मेहंदी ,  चुनर ,पीत पुष्प ,नेवैद्य से पूजन करे आज।
विश्व कल्याण की कामना को पूर्ण कर  धरा रोगमुक्त बनाओ आज।

क्षमा याचना नीलम की ,भूल हुई जो अनुनय विनय में मुझसे माँ।
भूल मेरी गलतियों को ,विश्व कल्याण करो माँ।

Neelam Vyas

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