रूह का सुकून कलेजे की ठंडक  बेटियां।
दो कुल की लाज ओ अभिमान बेटियां।


माँ  पिता के मन के निकट होती बेटियां।
हर परिस्थितियों में ढल जाती बेटियां।


कम साधन ,सुविधाओं में खुश रहती बेटियां।
हर क्षेत्र में नाम कमाती ,आत्म निर्भर बेटियां।


गरूर और शान घर की होती बेटियां।
सेवा ,मेहनत ,भावों से भरी होती बेटियां।


हर दुःख को हँस के सह लेती बेटियां।
 माता पिता की इज्जत ,मान ,मर्यादा  बेटियां।


साक्षात देवी का रूप बनहोती वरदान बेटियां।
रूखी सूखी खा फटा पुराना पहन पल जाती बेटियां।


सृष्टि का आधार, संस्कार की खान बेटियां।
जीवन को जन्मती ,रत्न प्रसविनी बेटियां।


धरा सी सहनशील ,प्रकृति सी  पालनहार बेटियां।
सूरज सी दीप्त, चाँद सी अमृत  बरसाती बेटियां।


घर की रौनक ,रिश्तों की पहचान  होती बेटियां।
सभ्यता ,संस्कार की खान होती बेटियां।


परिवार की संजीवनी ,लक्ष्मी ,ओ अन्नपूर्णा होती बेटियां।
इस धरा का,परिवार ,समाज का करती कल्याण बेटियां।


कन्या भ्रूण हत्या कर मत मारो बोझ नहीं बेटियां।
जीवन दे दो इनको ये  सुख ,सुकूँ देगी बेटियां।


पावन पुनीत अस्तित्व ले घर को तारती बेटियां।
मीठी बोली , मधुर व्यवहार की थाती बेटियां।


ईश्वर का रूप  धर नव जीवन ,नव परिवार  पालती बेटियां।
शिव शक्ति बिन अधूरे हम,जग की नियन्ता बेटियां।


खिलते गुलाब सी ,कोकिल बेनी सी बेटियां।
दीप शिखा सी प्रज्ज्वलित करती दिलो को बेटियां।

Neelam Vyas

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