विश्वगुरु बना भारत ,आओ महिला दिवस मनाए हम।
नारीत्व को शिद्दत से महसूस कर  आद्या को सम्मानित करे हम।

गार्गी ,मैत्रेयी ,लोपा ,घोषा की परंपरा का आह्वान करे हम।
पुरातन उदाहरण देकर आधुनिक पीढ़ी को प्रेरित करे हम।

शकुंतला,रुक्मिणी ,अनुसूया के ,सीता को नमन करे हम।
वर्तमान महिलाओं की हर क्षेत्र में अग्रणी प्रतिभा का  गुण गान करे हम।

हर बेटे ,हर नर को  देसीख ,संस्कार ये हम।
करे न कलंकित नारी की मर्यादा ,आज प्रण ले हम।

नारी नहीं मात्र भोग की  वस्तु,हाड़ मांस के अस्तित्व को श्रेष्ठ समझे हम।
कुत्सित विचारों को फांसी पे चढ़ा दे,कठोर कानून बना दे हम।

सही मायनों में सुकून ,चैन ओ तवज्जों से,समता के अधिकारों से नवाजे हम।
धरा को समत्व,पावनता,पवित्र विचारों से सुरक्षित बना दे हम।

करो संकल्प की अब न कोई नारी की इज्जत लुटे,,ले प्रण हम।
न सिसकियों से क्रान्त हो भारत यही कामना करें हम।

अत्याचार,घरेलू हिंसा,कन्या भ्रूण हत्या से मुक्त करे समाज हम।
खूब पढ़ा लिखा हर महिला को आत्म  निर्भर बना दे हम।

तब ही सार्थकता सिद्ध होगी महिला दिवस मनाने की।
थोथी दलीलों से परे कुछ उपयोगी ,सच्चा कदम नारी कल्याण का उठाये हम।

सिर्फ एक दिन ही नहीं हर दिन को समर्पित करे महिलाओं को हम।
माँ भारती की बेटियों को सर उठा कर जीने का दे अधिकार हम।

ओ भारतवासियों, ओ नर श्रेष्ठ  कसम लो महिलाओं को इज्जत देने की।
भोग्या नहीं पावनता की मूरत हैं हर महिला,यह सिद्ध कर तुम हम।

स्वरचित

Neelam Vyas

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