तुम मेरे लिए...
इंतज़ार होता है वर्ष भर चातकी को जिसका....
तुम मेरे लिए वो सरस् बरसात सी हो...
हर ओर जुगनू जगमगाते है जिस अंधियारे में...
तुम मेरे लिए अमावश की उस रात सी हो...
मन प्रफुलित हो उठता है देख जिस नाट्य कृत को....
तुम मेरे लिए कृष्णा की उस रास सी हो...
मौसम के मिजाज में मोहब्बत घुल जाता है जिस माह...
तुम मेरे लिए श्रावण की उस मास सी हो...
अपना हर कीमती वक़्त दे देते है जिसे....
तुम मेरे लिए supercops की वो टास्क सी हो...
आहट पाते ही समेट लेती है खुद को जो एकपल में....
तुम मेरे लिए छुई-मुई की वो एहसास सी हो....
महफ़िल में बिखेरना चाहता है एक कवि चारो ओर...
तुम मेरे लिए गमगीन चेहरे की वो हास्य सी हो...
वीर पुरुष की गाथाये पढ़ जागृत होता है अंतर्मन में जो....
तुम मेरे लिए वो अनूठा साहस सी हो...
माँ-बाप भाई-बहन के रिश्ते तो होते ही है रूहानी...
इस जीवन मे मेरी लव तुम भी बड़ी खास सी हो...

Kishan

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