ए ख़ुदा तू ही बता,
*किसे मैं अपना लिखूं और किसे मैं बेगाना लिखूं,*
इस पल - पल रंग बदलती दुनिया में,
किसे मैं अपना सहारा लिखूं।।


ए ख़ुदा तू ही बता,
*किसे मैं दोस्त लिखूं और किसे मैं दुश्मन लिखूं,*
चंद पैसे को लिए बदल जाते
 है लोग यहां,
किसे मैं अपना सरफरोश लिखूं।।

  ए ख़ुदा तू ही बता,
*किसे मैं जनता का सेवक लिखूं और किसे मैं जनता का लुटेरा लिखूं,*
चंद वोट और कुर्सी के लिए धर्म और जाति के नाम पर जनता को लड़वाते है ये,
फ़िर कैसे मैं इन्हें जनता का नरेश लिखूं।।


ए ख़ुदा तू ही बता,
*किसे मैं हिन्दू और किसे मैं मुसलमान, सिक्ख, ईसाई और जैन लिखूं,*
इन सभी के ख़ून के तो रंग है एक,
फ़िर कैसे मैं इन्हें अनेक लिखूं।l
Abhishek Kumar

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