क्यों दिखाये फिरते बन्दे धर्म की झूठी शान ।
धर्म-जाति सब याद रह गये भूले मान सम्मान ।।
चादर नही मांगते अल्लाह और दूध भगवान ।
अगर चाहते हो कुछ देना तो करो गरीब में दान ।।
उसने धरती पर भेजा है एक ही धर्म इंसान का ।
फिर क्यों करते हो तुम कर्म आज हैवान का ।।
हिंदू नही बनना है तुमको और ना ही मुसलमान ।
तुम्हें यहाँ बनना है केवल साधारण इंसान ।।
एक कहता अल्लाह का बंदा, एक भगवान का भक्त ।
काटो अपने शरीर को और देखो बहेगा एक ही रक्त ।।

जिसने लाया धरती पर उसको भूले आज ।
बहकावे में आकर दरदर ढूंढे ताज ।।
तिलक लगा कर पहन कर टोपी उसने तुमको बहकाया है ।
यही मौलवियों और बाबाओं ने बेटियों की इज्जत लुटवाया है ।।
क्यों जाते हो उसके दरबार मे लगाने भारी मेला ।
दिन में धर्मगुरु बनता वो  रात्रि वेश्याओं का चेला ।।
बुरा न मानो एक बार सोचो तुम अपने मन में ।
क्या यही लड़ाई करनी रह गयी तुम्हें निज जीवन में ।।
 अल्लाह पलपल रोकर कहता और रोता भगवान ।
हिन्दू-मुस्लिम छोड़ दे बन्दे बन जाओ इंसान ।।
आदर करना सीखो सबका और करना सम्मान  ।
तभी मिलेगा उसको अल्लाह और तुझे भगवान ।।

Pradeep Kumar Poddar

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