कैसे कोई मर्द किसी औरत को नोच लेता हैं
सिर्फ भोग की वस्तु समझ हवस मिटा लेता हैं
वासना के वशीभूत हो जिस्म को लूट हत्या कर देता हैं
देह को भूख मिटाने का साधन बना कर जिंदा जला देता हैं ।
क्यों ,,करते हैं कुछ मर्द इस तरह का अमानवीय व्यवहार
कोई शर्म कोउ हया नहीं दया नहीं बची मन में
आत्मा कंप कर धिक्कारती क्यों नहीं ऐसे नर पिशाचों की
संस्कारों की अर्थी निकाल कैसे चैन से जीते ऐसे नर,,
माँ बाप की परवरिश,संस्कार क्यों भुला देते।
अच्छे गुण क्यों केवल बेटीयों के लिए अनिवार्य मानते।
बेटे को क्यों शिक्षा नहीं मिलती नारी की इज्जत करने की।
शराब के नशे को हावी बना क्यों कुत्सित कृत्य करते नर।
सोच से बीमार नर क्यों इलाज अपना नही कराते।
विकृत मानसिकता को अभिशाप मान क्यो त्याग नहीं करते।
पशु चारी स्वभाव अपना क्यों नर बस काम क्रीड़ा को अपनाते।
जाग जाओ अब भी हर माता पिता
दो संस्कार ,धर्म ,मर्यादा की सीख बेटों को भी।
सिखाओ बेटों को नारी की इज्जत करना
मानवता को कलंकित करने वाले कृत्य से सिखाओ परहेज करना।
क्या नारी की गिड़गिड़ाहट छू नहीं पाती मन को
बचने की गुहार बेअसर क्यों हो जाती हवस का आगे।न
मार पीट कर कई लोग नारी को लूट लेते।
उफ़्फ़ कितने भेड़िये एक साथ नारी देह नोच लेते।
नारी की चीख पुकार असर क्यों नहीं करती उनके मन पर।
याचना करती इज्जत की भीख माँगती नारी ,,
क्यों वहशी भेड़िये बन लोगसिर्फ तन की भूख मिटाते
उफ़्फ़ भगवान,,कैसे तू उन लोगो को खुला आजाद छोड़ देता।
न्याय कँहा मिल पाता हर पीड़िता को अक्सर।
कब बन्द होगा बेटों के यह हैवानियत भरा आचरण
प्रश्नचिन्ह बना यह व्यवहार ,सुलगते सवाल,,
हैं ,,समाज केलिए ,,क्यों,,,
अब भी जग जाओ ओ पुरुष प्रधान समाज के ठेके दा रो
जीने दो नारी को सम्मान से,सुरक्षा से
वरना ऐसा जलजला आएगा,,
कि,, तहस नहस हो उठेगी
मानवता,,,
औरत की सिसकियों से सीख ले लो,,
वरना
यू ही फाँसी चढेंगे,,, एन काउंटर होगा,,,
तब,,,ही सही न्याय होगा,,
स्वरचित।
Bahut khub likha h
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