माँ काश मैं तेरी बेटी होता कम से कम तुझ से लिपटा होता।

जब जिद होती मेरी तब-तब जिद मेरा भी पूरा होता।
जब भी बेचैनियां घेर लेती मुझको तो तेरे गोद मे सर रख कर रो रहा होता।

माँ काश मैं तेरी बेटी होता।
जब आती तुझ से दूर जाने की बारी तो तेरे आँचल की किसी कोने को पकड़ कर बिलख रहा होता कम से कम उस पल को सुकू तो मिल रहा होता।

काश माँ मैं तेरे आँगन की मैं तुलशी होता कम से कम तेरी आँखों से ओझल ना होता।

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