*साहब एक रात आप यतीमखाने में रहिए,*
 दौलत के भूखे न बन खुदगर्ज जमाने में रहिए।


 *हर शहंशाह ने लिखवाए कसीदे अपने दौर में,*
 चर्चे रहे फकीरों के फकीर बन ज़माने में रहिए।


 *मेरे संगे बुनियाद की तामीर में तो पत्थर नहीं है,*
 आप हुजूर एक रोज मेरे भी गरीबखाने में रहिए।


 *प्यार खुलूस इज्ज़त चाहत सब है मेरी बस्ती में,*
 त्यौहार में कभी आप मेरे आशियाने में रहिए।


 *मुसीबतों से जो लड़ते-लड़ते फौलाद बना हूं मैं,*
 लाख हो नशा दौलत का मगर पैमाने में रहिए।


*तख्तियां कितनी भी हो मगर दरार नहीं मुझ में,*
 वो शख्स जैसा हो आप रिश्ता निभाने में रहिए।


 *मेरे घर के तमाम पाए ज़मींदोज़ हो चुके आब,*
 आप सच लिख के जालिम के निशाने में रहिए।


*खुले आसमान में रहते हैं बहुत से लोग शाहरुख़,*
कभी एक रात आप उनके शामियाने में रहिए।

*शाहरुख मोईन*
अररिया बिहार
9534848402

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