खिड़कियों से जो आंखों से आंखे मिलेगी..
शुरू होगा फिर मोहब्बत का एक सिलसिला..
उफ्फ वाकई मैं और तुम हम हो जाएंगे...
खबर होगी कानो कान मोहल्ले में पूरे...
तानों से ही घोपेंगे ओ चाकू और छुड़े
सब एक बात की सौ बात बनाएंगे...
करेंगे अलग माँ बाप हमारे हमे...
बुराई करेंगे हमारी हर महफ़िल महकमे...
मैं सड़को पे बेवड़ा बन तड़पा करूँगा,तुम्हे बन्द कमरों में तड़पाएँगे...
अकेले में याद आएंगे जिंदगी भर के किये वादे...
साथ मिलकर जो बांधे थे हमने ओ हौसले इरादे...
सोच कर उनको ख्वाबो में हम,बस और बस भूलना चाहेंगे...
भूल कर अब आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे...
यादों के असर में तिल-तिल कर मरेंगे...
बस कहानियों मे अच्छी लगती है मोहब्बत
बाकी दुनिया तो दुश्मन है प्रेमी की ये समझ जाएंगे
फिर कर के इश्क़ होगी तुम भी अधूरी...
और टूट कर हम भी अधूरे रह जाएंगे...
आखिर एक दिन चौराहे पर मुलाकात होगी...
माथे पर बिन्दिया मांग में सिंदूर
तुम तो बहुत खूबसूरत लग रही होगी...
हालातो का मारा,नशे की हालतों में
मैं दिखूंगा तुम्हे बना इश्क़ का एक रोगी...
एक पल में गले से लिपट कर हम दोनों बस रोते रह जाएंगे...

Kishan

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