जब गिरोगे तो,

सहारा बनूंगा

जब डूबोगे तो,

किनारा बनूंगा।


अब देश  बदलने को,

मन में ठान लिया है,

तो साथ दो हमारा,

मैं तुम्हारे रात्रि में,

उजियारा बनूगा।


सफर में थक जाओगे जब,

मेरा जिस्म हाजिर होगा तब।

ए मेरे दोस्त ,

रास्ते एक ही हैं अपने,

हम दोनों देख रहे हैं,

एक ही सपने।


अगर लक्ष्य भी धूमिल हुआ,

तो अपने अनुभव से,

पथ का उजियारा बनूगा।

अब अगर मौत भी आये तो,

पहले दोस्त का ,

यारा बनूंगा।


जब गिरोगे तो.......

जब डूबोगे तो.......

कविराज-अनुराग

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