है एक आवाज़ जो सालों से कैद है,
दिल से तो निकलती है,
पर होंठों में कैद है

सिल गए हैं होंठ, कुछ ऐसी कश्मकश है
चाहते हैं ये चींखना ,
पर न जाने कौन सी बंदिश है ।।।


Hardik Gandhi

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