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उन्हें जो करना है वो कर जाएंगे,
 हम दरिया है कैसे ठहर जाएंगे।

 बस्ती के लोग तिजारती हो गए,
हम भी अपना हुनर आजमाएंगे।
पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . .
 रास्ते का पत्थर ना समझ मुझे,
 ठोकरों से मुकद्दर संवर जाएंगे।

 ये संगतराश का अपना हुनर है,
 पत्थरों के चेहरे निखर जाएंगे।

वह अपना इरादा मुकम्मल करें,
 हम काम इतना तो कर जाएंगे।

 सैलाब का खतरा है बस्तियों को,
 दरिया तो समुंद्र में उतर जायेंगे।
पढ़े - नहीं पेट भरता महज . . .
 बारूद ओ चिंगारी का मेल नहीं,
 ऐसे दाग चेहरे पे बिखर जाएंगे।

 मिट्टी के पुतलों का गुमान देखो,
 राख बन के सभी बिखर जाएंगे।

 आलिमो की बस्ती में एक जाहिल शाहरुख,
 सबका भला कर जाएंगे।



Shahrukh Moin

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