आज मेरे मन में ख्याल आया कि वो
पालनहार तो है पर वो एक आदमी(नर) भी है शायद
तभी तो उसने दो इंसानो में इतना फर्क जताया है
आदमी को पति परमेश्वर
पढ़े - कभी-कभी जिंदगी में . . .
औरत को सहनशीलता का मूर्त बताया है
वो चाहता ये फर्क मिटा भी सकता था
दुनिया में औरत-मर्द बराबर है
ये सबक दुनियां में सबको सिखा भी सकता था
त्रेता से कलयुग तक लोगो ने न जाने
अग्नि परीक्षा,चीरहरण,सती प्रथा,आदि के नाम पे
ये सीतम भी औरत पर ही अजमाए है
वो मासूम थी बेकसूर थी फिर भी
पढ़े - कभी-कभी जिंदगी में . . .
इतने सीतम खुद सहे है और खुद पर ही उठाए है
हां मालूम है औरत त्याग और सहनशीलता की मूर्त है
ऐसे नगमें हमने भी खूब सुने है दूसरो को भी सुनाए है
सवाल उठा जो मेरे चंचल मन में
तो भगवान को भी कही तो मैने कसूरवार पाया है
पर ख्याल जब आया कि वो तो श्रृष्टी रचैयता है
बस इसी डर से मैने उसको फिर ठीक ठहराया है
पर ये चंचल मन क्या करे जब नाम सुनूं
पढ़े - कभी-कभी जिंदगी में . . .
ईश्वर,परमात्मा,भगवान,प्रभु,रब,खुदा
दर्शाते हैं नाम कि कोई आदमी हो जैसे
ऊपरवाली,परमात्मी,भगवानी,रब्बी,खुदी आदि कयूं नही
आप ही बताओ,किसी ने नाम सुने है ईश्वर के ऐसे?


Adv. Swati Bala

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