चार बज गए हैं,
नीद अब तक नहीं आई है।
जरा खिड़की खोल के देखो
क्या वो टहलने आई है।

ये बादल ये बारिश
ये मौसम सब हसीन है,
लगता है आज
उसको मेरी याद आई है।

आगोश,छुअन ,
सिहरन क्या क्या बताऊं मैं,
अच्छा सुनो इन लबो को
उन लबों की याद आई है।

लगता है आज उसको
मेरी याद आई है।
मै क्यों ना करू
इश्क़ उस से तुम बताओ

वो खुद को मुझसे जोड़
बाकी सब छोड़ आई है।
लगता है आज उसको
मेरी याद आई है ll


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