दिल में अब किताबों का , घर हुआ तो है आंखों से दिल तक का, सफर हुआ तो है हिज्र,आशिक़ी,शराब मैं सब जनता हूँ उसे इश्क़ करने का, असर हुआ त...
अब अंधेरा घिर जाए तो जुगुनू नहीं आते अगर नींद न आए , तो सपने नही आते एक अरसे से खाली पड़ा है कमरा मेरा, सुना है, दौलत न हो तो अपने नही आते...
प्रथम सुधि मां को उसको प्रणाम है।। चार बज गए हैं, नीद अब तक . . . धरा सा दिल जिसका, हे मां अभिवादन स्वीकार कर हर सांस से दुआ दे , ...
चार बज गए हैं, नीद अब तक नहीं आई है। जरा खिड़की खोल के देखो क्या वो टहलने आई है। ये बादल ये बारिश ये मौसम सब हसीन है, लगता है ...