हां , हमने भी कभी प्यार किया था,
एक तरफा ही सही,
पर बेसुमार किया था।
याद आ रहा है ,वह बचपना . . .
जब तक उनका कोई जवाब न आया,
ऐसा कोई दिन नही था,
जब उनका ख्वाब न आया।

एक पल में ही हमारे प्रेम को अस्वीकार कर दिया,
यों लगा, जैसे हृदय पर   वजृपात कर दिया।
हमने भी कभी घुट-घुटकर जिया था,
सुना है गैर के वो प्रेम में, बर्बाद रहता है . . .
हां, हमने भी कभी आंसुओं को पिया था।
हां, हमने भी कभी प्यार किया था,
एक तरफा ही सही,

पर बेसुमार किया था।
हम रूदन मे डूब गये थे,
हम अकेलेपन से ऊब गये थे।
प्रेम-विरह . . .
खाली-सा लग रहा था जहां,
ढूंढ रहा था खुशियों को,
आखिर वो थी कहां।

कभी हमने भी,
किसी का इंतजार किया था,
थोड़ा नहीं,
ये शहर, मुझे राश नहीं आया . . .
बेसुमार किया था।
हां, हमने भी कभी प्यार किया था,
एक तरफा ही सही,
पर बेसुमार किया था।


Anurag Maurya

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