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अब देखो मत तुम आंखों में, महसूस करो इन सांसो में, असहनीय वेदना झेल चुकी हैं, दिल से हमारे कोई खेल चुकी है, तुम अपने अश्कों से मुझे निर्मल कर दो . . . तन तो चल दिया हैं लेकिन, रूह तो अब भी वहीं रूकी है। यादों की बरसातो में , हम पहले से ही भीगे हैं,
अब और न प्रेम होगा कभी, सब कुछ लगता जैसे,फीके हैं। तुम याद न दिलाओ, उन मुलाकातो को, हे भारत के भाग्य विधाता . . . जब हम पहले ही आ जाते, चांदनी रातों को। जीवन में कष्ट अपार हुए, दिल मे कई प्रहार हुए,
जीवन मे फिर चमत्कार हुआ, तबसे कभी न प्यार हुआ। जीवन भी अब वीरान हुआ, अब प्रेम से भी अंजान हुआ। ये शहर, मुझे राश नहीं आया. . . अब देखो मत तुम आंखों में, महसूस करो इन सांसो में, असहनीय वेदना झेल चुकी हैं, दिल से हमारे कोई खेल चुकी है।
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