बाहो मे मिलना था हमको,
बस यही थी मन की  आस।
कभी भी मेरे मन मे,
तेरे जिस्म की नहीं थी प्यास।
तुम अपने अश्कों से मुझे निर्मल कर दो . . .
रूहे अगर दोनों मिल जाती,
मै सोचता था काश ।
रूदन था इस बात पर,
नहीं आये तुम पास,

एक बार हम प्रेम का,
दोनों करते अभ्यास।
प्रेम रोग है सब पर भारी ,
जानती है दुनिया सारी।
हे भारत के भाग्य विधाता . . .
इसमें इक तो नर होता है,
दूसरी होती है नारी।
प्रेम करने वालों का प्यार ,
जन्म जन्म तक होता जारी।

यह कबिरा कह गया दीवाना,
यारा से होती है यारी।
प्रेम अगर हो जाये तुमको,
यह दुनिया लागेगी प्यारी।
सुना है गैर के वो प्रेम में, बर्बाद रहता है . . .
सबको मौका मिलता इस पर ,
सबकी आती है बारी।
प्रेम लगन कही ऐसी लागे,
नींद नहीं आवै फिर जागे।

नयन मिलाते शर्म है लागे,
प्रेम विश्व मे सबसे आगे,
दोनों की थी एक ही रागे,
सफल प्रेम करने हैं भागे।


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