प्रथम सुधि मां को
उसको प्रणाम है।।
चार बज गए हैं, नीद अब तक . . .
धरा सा दिल जिसका,
हे मां अभिवादन स्वीकार कर
हर सांस से दुआ दे ,
तू मुझे दरिया से पर कर।

कोई जख्म सा लगे तो,
जुबां पे तेरा ही नाम है
प्रथम सुधि मां को ,
उसको  प्रणाम   है।
चार बज गए हैं, नीद अब तक . . .
तेरी गोंद में सिर रखकर
जहां भूल कर हम सो सके
जिसके स्पर्श मात्र से ही
सागर  सा दुख भी मिट सके।

तेरा आशीर्वाद ही तो है मां
जो खुशियों की शाम है,
प्रथम सुधि  मां  को,
उसको   प्रणाम   है।
चार बज गए हैं, नीद अब तक . . .
हमारी हर हार को भी,
जननी तू जीत कहती है,
माधुर्य प्रेम तेरा स्वयं कष्ट में,
तब भी तू गीत कहती है।

हर तीर्थ है यही पर,
तेरे चरणों में धाम है;
प्रथम सुधि मां को
उसको प्रणाम है।।
       चार बज गए हैं, नीद अब तक . . .
ना हो नम नयन मेरे,
इस हेतु सारे गम सहे तूने;
हम हैं तेरे ऋणी मां,
मेरे हर दर्द को अपना कहा तूने।।

सत्य प्रेम की जागृति तस्वीर,
तुझे हमारा सलाम है
प्रथम सुधि मां को,
उसको प्रणाम है।।।।

Ramashankar Patel

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