किया था हमनें वादा,मिलिंगे वक़्त आने पर।
मैं तुझको याद रहूँ करता,उसी ठिकानें पर

शब ये बेमिशाल हो जाए,जो तू भी आ जाये
भले मुद्दतें गुज़री हों,मिलेंगे उसी ठिकाने पर।।
पढ़े -रुकना कभी आता नहीं . . .
घटा ज़ुल्फों की छा जाये,
मौसम-ए-बरसात आ जाये।

रहे कड़कड़ी बिज़ली रात भर,वो भी क्या
सितम होगा जो समा तेरे,हाथों ही बुझ जाये।

Hardik Gandhi

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