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किया था हमनें वादा,मिलिंगे वक़्त आने पर। मैं तुझको याद रहूँ करता,उसी ठिकानें पर
शब ये बेमिशाल हो जाए,जो तू भी आ जाये भले मुद्दतें गुज़री हों,मिलेंगे उसी ठिकाने पर।। पढ़े -रुकना कभी आता नहीं . . . घटा ज़ुल्फों की छा जाये, मौसम-ए-बरसात आ जाये।
रहे कड़कड़ी बिज़ली रात भर,वो भी क्या सितम होगा जो समा तेरे,हाथों ही बुझ जाये।
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