महिखाने सी भरी हुई है तुम्हारी निगाह में,
अब आ भी जाइए न मेरी पनाह में,,

रस्ते में हमें ठोकरें हर वक़्त मिली हैं,
अपनों ने ही पत्थर बिछाए अपनी राह में,,

समझे ना मेरे प्यार को बस रूठते रहे,
क्या क्या न सितम हमने सहे यार चाह में,,

हर बार चोट  दिल पे तेरे कर रहा है वो,
तुझको मिलेगा कुछ नहीं उससे निबाह में,,

वो जो यहाँ मुहँ मिट्ठू मिया आज हैं बने,
कभी खुशी मना रहे थे तेरी आह में,,

लेकिन ज़रूरी है स्वाभिमान का होना,
ऐसे ही न आया करो किसी सलाह में,,

'चाहत' को सदा से गुरूर छीनता रहा,
भूले से  अहम करना नहीं वाह वाह में,,

Shahrukh Moin

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