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कोई पागल समझता है, कोई नादाँ कहता है। तेरे प्यार में जानम, क्या क्या सुनना पड़ता है।
ज़माने के लोगो को, कुछ भी कहना होता है। कोई पागल समझता है, कोई दीवाना कहता है।। पढ़े - नहीं पेट भरता महज . . . झुकाकर पलके अपनी, सलाम तुम को करते है। दुआ दिल कि बस हम, तुम्हारे नाम करते है।
कबूल हो तो मुस्कराकर, हिला देना तुम अपना सिर। तुम्हारी मुस्कराहट पर, ये दिल कुर्बान करते है।। पढ़े - मय सी भरी हुई है . . . कोई नादाँ समझता है, कोई दीवाना कहता है। तेरे प्यार में जानम, क्या क्या सुनना पड़ता है।
जिक्र जब भी अपनों की किया करोगी ये जानम, नाम मेरा भी तुम उनमे, लेना ये जानम। पढ़े - नहीं पेट भरता महज . . . अच्छाई में नहीं तो, बुराई में ही सही। चंद लबज्जो में ये जानम, हमें भी याद कीजियेगा।।
कोई पागल समझता है, कोई दीवाना कहता है। तेरे प्यार में जानम, क्या क्या सुनना पड़ता है।
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