जिस रात में होती थी मोहब्ब्त की बरसात
हर रात होती थी दिल से दिल की बात
जाने कहाँ खो गयी वो चाँदनी रात
ढूंढता हूँ उन रातों को हर रात मैं


पढ़े - देह मत देना . . .
पर उन रातों को ढूंढने में बीत गयी कई रात
इसीलिए अब चुप्पी साधे सो जाते हैं हम हर रात
बिना याद किए उन रातों में की गई फिजूल की बात

Shubham Poddar

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