दिल में उत्तर गयीहै वो रात
जिस रात में होती थी हमारी मुलाकात

पर कहाँ चली गई
अब वो चाँदनी रात

जिस रात में होती थी मोहब्ब्त की बर्षात
हर रात होती थी दिल से दिल की बात

जाने कहाँ खो गयी वो चाँदनी रात
ढूंढता हूँ उन रातो को हर रात मैं

पर उन रातो को ढूंढने में बीत गयी कई रात
इसीलिए अब चुप्पी साधे सो जाते है हम हर रात
बिना याद किए उन रातो में की गई फिजूल की बात

शुभम पोद्दार

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