गम हम जुदाई का पिए जा रहे है,
ना जाने क्यूँ ये गुनाह हम किए जा रहे है।
दूर रहकर भी तुझ से हम
ना जाने क्यूँ तुम्हारे बारे में ही सबसे बात किए जा रहे हैं,

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तेरी जुदाई का गम हम सहे जा रहे,
न जाने क्यों हम खुद से ही खुद को अलग किए जा रहे है।
तेरे संग बिताएं पल को
याद करके हम जिए जा रहे हैं,

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तेरे दिए हुए गम को
घूँट-घूँट के पिए जा रहे है
हर पल तुझे याद हम
क्यों किए जा रहे हैं।
अब बता दे तू ही कि ये सब गुनाह हम तुझ बेवफा के लिए क्यों किए जा रहे हैं।

Shubham Poddar

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