रीना, सृष्टि, अनन्या तीनों पक्की सहेली थी । यूनिवर्सिटी में तीनों एम फिल कर रही थी । आज तीनों सहेलियाँ कैंपस में बैठी बातें कर रही थी ।
अनन्या -"यार आजकल बहुत बोरिंग लाइफ है मन नहीं लग रहा है पढाई से बोर हो गई" "मम्मी पापा भी हैं नहीं घर पर तो अकेली पड़ जाती"  "दोनों बिजनेस टूर पर गए हैं।" मुँह बनाते हुए अनन्या बोली ।
"हां यार सही कहती हो चलो कुछ ऐडवेंचर करते हैं" रीना ने भी हां कहा । फिर दोनों सहेली सृष्टि की तरफ़ देखने लगी "अरे यार जैसा तुम दोनों करो मैं भी साथ हूं" तीनों ने हाथ मिलाकर डन किया । फिर ऐडवेंचर का प्लान बना लिया ।

अनन्या अमीर घर की इकलौती वारिस थी । बेफिक्र और आजाद जीवन जीती थी । रीना भी रईस थी लेकिन अनन्या से कम थी । सृष्टि उसमें सबसे गरीब थी लेकिन फिर भी ,पैसे की जितनी जरूरत होनी चाहिए उतनी थी । बेतहाशा पैसे उसके पिता के पास नहीं थे तो कम भी नहीं थे । सृष्टि थोड़ी सौम्य और पढाकू लड़की थी । सृष्टि की मां मर चुकी थी सौतेली मां थी सृष्टि की, जो उसका खूब ख्याल रखती थी ।
मगर सृष्टि मन ही मन उससे नफ़रत करती थी ।
क्योंकि पैंतालीस साल की आयु में उसके पिताजी ने दूसरी शादी की थी । उसकी ममा का सारा हक छीन ली थी वह, इसलिए उसे नफ़रत होती थी ।
अलबत्ता पिताजी सृष्टि से बहुत प्यार करते थे ।
रीना की मंगनी हो चुकी थी उसका मंगेतर आर्मी में कैप्टन था । दिन रात कैप्टन साहब के ख्वाब देखने में वह मगन रहती । अक्सर दोनों सहेलियाँ उसे मिसेज कैप्टन कहकर चिढ़ाया करती थी ।
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सचिन एक सब इंस्पेक्टर था दो दिन पहले ही उसका ट्रांसफर मुम्बई में हुआ था । इसलिए वह पुलिस चौकी को देखने के लिए गया था, लौटते वक्त शाम हो गई ।
बीच रस्ते सुनसान जगह पर उसकी गाड़ी खराब हो गई थी । वह मदद के लिए इधर-उधर घूमने लगा ।
दस मिनट बाद एक शानदार  कार उसके सामने आकर रूकी तो उसने लिफ्ट मांगा तो देखा गाड़ी ड्राइव करने वाली कोई हसीना थी! जिसने दुपट्टे से अपना चेहरा ढँक रखा था । पीछे की सीट पर भी दो हसीनाएं बैठी थी ।
उन लड़कियों ने बैठने का ईशारा किया तो वह गाड़ी में बैठ गया ।
फिर हसीना ने गाड़ी बढा दिया कुछ दूर जाकर उसने गाड़ी रोक दिया! फिर गन निकालकर सचिन के कनपट्टी पर रख दिया, ये देखकर सचिन हैरान रह गया ! फिर वह हसीना दोनों हसीनाओं से बोली इसके हाथ-पैर बांधो और चेहरे को नकाब से ढँको । उसकी आज्ञा का पालन दोनों हसीनाओं ने बिना कुछ कहे किया ।
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एक हसीना ने काँपते हाथों से सचिन के हाथ पैर बांधे । ये देखकर सचिन को हँसी भी आ रही थी ।
दूसरी हसीना ने उसे नकाब पहना दिया चेहरे पर ।
जो हसीना गाड़ी ड्राइव कर रही थी वह मास्टर माइंड और काफी निडर लगी थी सचिन को ,जबकि दोनों हसीनाएं थोड़ी डरपोक थी ।
एक घंटे बाद सचिन को गाड़ी से उतारकर दोनों हसीनाओं ने एक कमरे में डाल दिया ।
सचिन एक सब इंस्पेक्टर था ये उन हसीनाओं को मालूम नहीं था, इसलिए सचिन को उनकी बेवकूफी पर हँसी भी आ रही थी और खुद पर गुस्सा कि, दिन दहाड़े तीन लड़कियों ने गन प्वाइंट पर उसका अपहरण कर लिया ।
बगल के कमरे से आवाज आ रही थी जो निडर हसीना थी उसने फिरौती मांगने की रकम का आइडिया दोनों को बताने लगी थी । मगर दोनों हसीनाएं डर रही थी फिर भी निडर हसीना ने कहा "अरे यार डरो मत पचास लाख फिरौती की रकम लेकर लड़के को छोड़ देंगे" फिर दोनों हसीनाएं चुप हो गयी । एक डरपोक हसीना ने कहा यार कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए इसे छोड़ देना मुझे बहुत डर लग रहा है । निडर हसीना ने कहा "चिंता मत करो छोड़ दूंगी और ये तुमलोग डरना छोड़ो समझी" फिर दोनों ने हां में सर हिला दिया ।
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रात दस बजे एक हसीना खाना लेकर आई !उसने सचिन के हाथ खोल दिए थे । दूसरी हसीना हाथ में गन थामे खड़ी थी सचिन ने दोनों हसीनाओं का चेहरा देख लिया था । क्योंकि जल्दी-जल्दी और डर के चक्कर में दोनों चेहरा ढँकना भूल गयी थी ।
"देखो मुझे छोड़ दो वर्ना बहुत पछताओगी" सचिन ने तेवर दिखाकर कहा ।
तभी कमरे में निडर हसीना आई और कहा "पहले फिरौती की रकम मिलने दो फिर छोड़ दूंगी" 
फिर निडर हसीना ने दोनों लड़कियों को डांटा कि नकाब डालो चेहरे पर ,तब तक मैंने खाना खा लिया था फिर डरपोक हसीना ने अपने कोमल हाथों से मेरे हाथ पैर बांधे और फिर तीनों कमरा बंद करके कमरे से निकल गयी ।
दो घंटे तक मैं बाहर निकलने का रास्ता सोचता रहा ।

हाथ-पैर की रस्सी खोलने की कोशिश किया तो रस्सी खुल गयी । रात के दो बज रहे थे । मैंने नकाब हटाकर कमरे की छानबीन की मगर निकलने का रास्ता नजर नहीं आया । फिर मैं बैठे-बैठे ही सो गया । सुबह आंख खुली तो रस्सी हाथ-पैर में हल्के से बांधकर नकाब डालकर बैठ गया ।
आधा घंटे बाद एक डरपोक हसीना खाना लेकर आई ज्यों ही उसने मेरे हाथ की रस्सी खोलनी चाही! मैंने फुर्ती से रस्सी खोलकर उसका मुँह बंद कर दिया ।
वह हसीना बेहोश हो गई तो मैं कमरे से बाहर निकल आया! बरामदे से जब बाहर निकल रहा था तो निडर हसीना की आवाज कानों में सुनाई पड़ी ।
अब मुम्बई के एक शानदार होटेल में बैठकर ये वाक्या अपने प्रिय दोस्त इंस्पेक्टर अजीत को बता रहा हूं! जिसे सुनकर उसे यकीन नहीं आ रहा है कि मेरा किडनैप किसी हसीना ने किया था ।
मुझे उन हसीनाओं पर गुस्सा आ रहा था कि उसे छोड़ूंगा नहीं । "जब मैं किडनैप हुआ था मेरे पास गन नहीं थी यार" मैंने खींझते हुए कहा ।
"फिर भी यार एक सब इंस्पेक्टर का किडनैप वो भी हसीनाओं के हाथ कमाल है" फिर जोर जोर से वह हँसने लगा ।
और मैं अपना सर खुजाने लगा ।
राधा यशी  आगे का भाग अगले अंक में  > एडवेंचर लव - भाग - 2

Radha Yshi

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