कह गए दिनकर जी-
पुष्प ही नही अलम्,
फल भी जनना पड़ता है,
जो भी करती प्रेम,
उन्हें माता भी बनना पड़ता है।

प्रेम करने में यदि तुम बन जाओगे माता,
कहलाओगे-
कुलटा,छिनार,चरित्रहीन।

अतः ओ मेरी बहन,
करना प्रेम,
देना मन-प्राण,
देना मत देह।

(प्रकाशित हुआ भाषा भारती संवाद में)

Shubham Poddar

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