तू ही है...
माँ तू ही है मेरी जननी

प्रेम की सागर,

प्रेम की चादर।

माँ तू ही है नीर और अम्बर

बच्चों की रक्षक,

दुश्मनो की भक्षक।

माँ मैं दुर्गा और अम्बे को नही जनता,

मैं तो बस तुझे ही मानता।

माँ तू दुश्मनो के लिए विष की प्यालि,

दुश्मनो के लिए तू है काली।

बज्र की भांति है तू माता,

मुझ पे सकंट कभी न आता।

माँ मेरे लिए तू आदि-शक्ति

तू ही भक्ति,

तू ही शक्ति।

माँ मेरी तू सुनले वाणी

तू ही है मेरी उज्यारि,

तू ही है मेरी कल्याणी।

तेरी जैसी माँ जो भी पाए,

उसका जीवन खुशियों से भर जाए।

माँ तू रखना बस इतना ख्याल,

जन्मों-जन्मों तक बनू बस तेरा सन्तान।

माँ तू रखनस बस इतना ख्याल,

माँ तू रखना बस इतना ख्याल।

(प्रकशित हुई राष्ट्रिय स्तर की एक मात्र समाचार पत्रिका नया भाषा-भारती संवाद में)

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